साईं रखियो नियम यह धन पदवी को पाय। रक्षा करियो दीन की हरि भजियो मन लाय।। हरि भजियो मन लाय दान से हाथ न मुड़ियो। करियो सेवा मातु पितु परिजन रंक न छुड़ियो।। रहमान स्वर्ग सापान यहि सद्ग्रंथन बतलाई। नहीं घटे धन धन धर्म पद रहै नियम यह साईं।।
हिंदी समय में मुंशी रहमान खान की रचनाएँ