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कविता

धन पद

मुंशी रहमान खान


साईं रखियो नियम यह धन पदवी को पाय।
रक्षा करियो दीन की हरि भजियो मन लाय।।
हरि भजियो मन लाय दान से हाथ न मुड़ियो।
करियो सेवा मातु पितु परिजन रंक न छुड़ियो।।
रहमान स्‍वर्ग सापान यहि सद्ग्रंथन बतलाई।
नहीं घटे धन धन धर्म पद रहै नियम यह साईं।।

 


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